Saturday, March 1, 2008

सब्जी वाले

तीज पर त्यौहारों पर ,
इतवार गुरुवार शनिवार की हाट बाजारों पर ,
इन्हे मशरूफ देखा ,
इन सब्जी वालों को आधी रात को घर लौटते देखा ,
देखा है इनकी बीबी को ,
उनीदी आखों से घर के दरवाजे खोलते देखा ,
देखा रात तक जागते हुए खाना खाकर ,
देर सुबह उठते देखा ,
अगली हाट की तैय्यारी करते देखा ,
सब्जी पर पानी डालते देखा,
टमाटरों को साफ कपड़े से चमकाते देखा ,
कभी कभी चुटकियाँ ,झिड़की , मस्ती करते देखा ,
कभी कभी पुलिस से पिटते देखा ,
कभी कभी आपस में लड़ते देखा ,
धंधा जो हुआ , बन्दा जो खुश हुआ ,
रास्ते पर गाना गुनगुनाता हुआ देखा ,
इन सब्जी बेचनेवालों को अपने दस साल के बच्चे ,
को हाथ ठेले पर बैठाकर आधी रात को ,
सड़क पर घर लौटते देखा ।
तीज पर त्योंहारो पर ,
इतवार गुरुवार शनिवार की हाट बाजारों पर ,
इन्हे मशरूफ देखा ।

2 comments:

Unknown said...

KYA KALPANA HAI.

shayari said...

अति सुन्दर