Sher O Shayari
Thursday, August 29, 2013
कोरा काग़ज
कोरा काग़ज कोरा रह जाता है,
किसी कलम की स्याही सूख जाती है बिना लिखे,
नसीब का लिखा काम आता नहीं ,
वक्त अनजान राहों पे जब ले जाता है.
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