नींद उड़ गई आज
जब सपनों पर गिरी गाज
माहौल विपरीत चल रही हवाऔ का है
सफर मुनासिब नहीं
कम वक्त है इन्तजार अब और नहीं
उम्मीद की हर सुबह बाकी है
मंजिल दूर ही सही
हर दिन कुछ कदम चलकर
थोड़ी थोड़ी दूरियां तो नापी है ......
जब सपनों पर गिरी गाज
माहौल विपरीत चल रही हवाऔ का है
सफर मुनासिब नहीं
कम वक्त है इन्तजार अब और नहीं
उम्मीद की हर सुबह बाकी है
मंजिल दूर ही सही
हर दिन कुछ कदम चलकर
थोड़ी थोड़ी दूरियां तो नापी है ......
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