Tuesday, October 15, 2019

किस्मत

लोग शहर छोड़ ने को  राजी है
गांव भी उजड़ रहें  हैं।
बर्फ़ भी  पिघल रही है 
पर्वत मैदान बन रहे हैं   
जमीन भी कम पड़ रही है  ।
चाद पर भी उम्मीद कम है  ।
मंगल का पता नहीं
जाये तो जाये कहाँ  । 

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