Saturday, October 26, 2019

अकेलापन

यहां कौन हजार साल की उम्र
लेकर बैठा  है
ना बोलकर ना मिलकर

तन्हा  कुछ साल गुजर जायेंगे
दुश्मनी  सा बक्त  बिताकर
कौन खुश हुआ
जब देखो तब दुख हुआ ।
रुठकर किसने मजा लूटा है
साला  अन्दर  से तो वो भी टूटा है
अगर हो जायेगी  बात
तो भी कट जायेगी रात
सबके  एक ना एक दिन
मरने के दिन आ जायेगे
एक दिन अर्थी  पर जायेंगे
सारी बातों के मायने
व्यर्थ  हो जायेंगे
यहां कौन हजार साल की उम्र
लेकर  बैठा है
साला भाई भाई से रूठा है
हम मुगालते में  है वो खुश हैं
वो मुगालते  है मैं  खुश हूं
हर इक अपना है
फिर भी सपना  टूटा  है   ।
यहां कौन हजार साल की
उम्र  लेकर बैठा  है   ।
कौई बताये हमें किसका
बक्त और मोहब्बत का
ठेका  है  ।



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