ना आज जी सके
ना कल
ताज की चाहत में
ना सो सके
जो मिला उसे भोगा नहीं
जो ना मिला
उसके पीछे भागते रहे ।
कितने नादान थे
जिन्दगी भर नादानी
करते रहे ।
ना कल
ताज की चाहत में
ना सो सके
जो मिला उसे भोगा नहीं
जो ना मिला
उसके पीछे भागते रहे ।
कितने नादान थे
जिन्दगी भर नादानी
करते रहे ।
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