Sunday, December 29, 2019

शान्ति

मरघट में  शान्ति है
घर घर में  क्रांति है
मोबाईल ज्ञान दे रहा
सच ये कि
भृमित कर रहा
दोस्त दोस्ती मोबाइल से हो रही
मिलने मिलाने की रस्में
शादी या श्मशान में पूरी हो रही
कैसे होगी प्रीत जब जमाना
हो पैसे का मीत  ।



Tuesday, November 26, 2019

नींद

नींद उड़ गई आज
जब सपनों पर गिरी गाज
माहौल विपरीत चल रही हवाऔ का है
सफर मुनासिब  नहीं
कम वक्त  है इन्तजार अब और नहीं
उम्मीद की हर सुबह बाकी है
मंजिल  दूर ही सही
हर दिन  कुछ कदम चलकर
थोड़ी थोड़ी दूरियां तो नापी है  ...... 

Sunday, November 24, 2019

आत्मा

आत्मा वात्मा कुछ नहीं
एक बार जो मरघट गये
लग जाता है
जीवन में खात्मा
जीते जीते तरस  गये
नैना बिन मौसम जो बरस गये
इसको बोलते है प्रताड़ना
पैदा हुये फिर थोड़े बड़े हुये
स्कूल जो गये पिटते पिटते
इन्सान हुये
इसको बोलते है निर्माण हुये
आत्मा वात्मा कुछ नहीं
एक बार जो मरघट गये
लग जाता है
जीवन में खात्मा । 

Saturday, November 23, 2019

हिसाब

जरा अपने आप से बात करो
क्या खोया क्या पाया
इसका हिसाब करो
उम्मीद अब भी बाकी
दिये में  जबतक जलती बाती है
उमर बीती भले आधी है
सांसों की डोर  जब तक साथी है
क्या खोया क्या पाया
 इसका हिसाब करो
उम्मीद अब भी बाकी है
दिये में जबतक जलती बाती है

Monday, November 11, 2019

निर्णय

जवानी में लगाया जो दांव
जम गये उससे शहर में  पांव
तरसते थे जो रहते थे गांव
खरीद लेते है  अब हर एक चीज
रहे कोई भाव
ठोकरों से मजबूत देखे मेरे ताव
जवानी में  लगाया जो दांव
जम गये शहर में मेरे पांव



इतिहास

बहुत ख्वाहिशें है
मगर पैसा कम है
इसीलिए जिन्दगी
हर कदम एक नई जंग है ।
अंधेरों की चाहतों से
 उजालों में उमंग है
बीत जायेगे संघर्षौ के पल
दर्द की हर बात हो जायेगी कल
बहुत ख्वाहिशें  है
मगर पैसा कम है
इसलिए जिन्दगी हर कदम
एक नई जंग है

Wednesday, November 6, 2019

अकेला

आज का इन्सान
रहना चाहता है अकेला
दे दो चाहे उसको घर का एक कोना
चलाना चाहता मोबाइल
वाट्सअप फेसबुक इन्स्टाराम

चाहता है अपनेआप में  खोना
आज का इन्सान
रहना चाहता है अकेला
परवरिश काम नहीं  आ रही
ज्ञान  कम पड़ रहा पालकों  का
बच्चे  संक्रमित है आज के परिवेश  से
मां बाप दुखी ये सब देख के

आज का इन्सान
बेखबर  है बेसबर है  बेईमान है
अपन आप से
मजे लेना चाहता है दुनियां के  सब
दुखी है औरो के रूआब से
आज का इन्सान
रहना चाहता है अकेला
दे दो उसे चाहे घर का एक कोना


Monday, November 4, 2019

मछलियां

मछलियाँ मौत से नहीं  डरती
एक्वेरियम रहकर भी
समुन्दर की तलाश करती
मछलियां मौत से नहीं  डरती
पल पल को जीती है
पानी के बुलबुलों सी ऊपर
पल में  गहराईयों में  चली जाती
मछलियां मौत से नहीं  डरती
बेफिक्र है बेखौफ है
अपनी  धुन में  मस्त रहती
कितने दिन की हो जिन्दगी
उमन्गो में  जीती
मछलियां मौत से नहीं  डरती।

Sunday, November 3, 2019

भोपाल मेरा सपनों का शहर

भोपाल मेरा सपनों का शहर
तुझे भी अपना बना लेगा
एक रात तो ठहर
लुभाता है प्यार जगाता है
बस जायेगा यहां की वादियों में
बितायेगा चारों पहर
भोपाल मेरा सपनों का शहर
ना बंदिशें ना सरहदें
रिश्तें प्यार के हैं
 रोजगार की सहूलियतें
सबको गले लगाता है
भोपाल  मेरा सपनों का शहर
अब तो मरना भी यहां
जीना यहां सारी उमर
ये मेरे प्यारे भोपाल  शहर 




Monday, October 28, 2019

भटकना

ना आज जी सके
ना कल
ताज की चाहत में
ना सो सके
जो मिला  उसे भोगा नहीं
जो ना मिला
उसके पीछे भागते रहे ।
कितने नादान थे
जिन्दगी भर नादानी
करते रहे     ।

Sunday, October 27, 2019

गैर

गैर कितने करीब हो गये
अपने जब रकीब हो गये ।
जब जब अपनो को दिया मौका
अपनौ ने दिया धौका
गैर कितने करीब हो गये
अपने जब रकीब हो गये । 

Saturday, October 26, 2019

अकेलापन

यहां कौन हजार साल की उम्र
लेकर बैठा  है
ना बोलकर ना मिलकर

तन्हा  कुछ साल गुजर जायेंगे
दुश्मनी  सा बक्त  बिताकर
कौन खुश हुआ
जब देखो तब दुख हुआ ।
रुठकर किसने मजा लूटा है
साला  अन्दर  से तो वो भी टूटा है
अगर हो जायेगी  बात
तो भी कट जायेगी रात
सबके  एक ना एक दिन
मरने के दिन आ जायेगे
एक दिन अर्थी  पर जायेंगे
सारी बातों के मायने
व्यर्थ  हो जायेंगे
यहां कौन हजार साल की उम्र
लेकर  बैठा है
साला भाई भाई से रूठा है
हम मुगालते में  है वो खुश हैं
वो मुगालते  है मैं  खुश हूं
हर इक अपना है
फिर भी सपना  टूटा  है   ।
यहां कौन हजार साल की
उम्र  लेकर बैठा  है   ।
कौई बताये हमें किसका
बक्त और मोहब्बत का
ठेका  है  ।



Thursday, October 24, 2019

शक्ति

माँ  है तो है रंग है
मां है तो उमंग है

मां है तो आंखें  है
आंखों  में  लाख सपने है
मां ने सिखाया प्यार  से
पराये भी अपने है
दीप है तो उनमें  उजाला है
मां ने ढेर सारा प्यार  बच्चों  में
बांट  डाला है
मां है तो जगमग दिवाली  है
खुशी  है चारों ओर खुशहाली है
ईश्वर ने मां देकर
सारी मन्नतें पूरी कर डाली  है

मां को घर में  पाकर
स्वर्ग की तमन्ना भी पूरी कर
डाली है ।
मां है तो हर दिन होली है
मां है तो हर दिन  दिवाली  है ।

Tuesday, October 22, 2019

व्यर्थ

बहुत सी बातों के अर्थ  नहीं है
बहुत से दर्द की बजह नहीं  होती
यू ही  जिन्दगी के  दिन खराब किये
 बिन आनन्द के यू ही जिये
 नादान थे परेशान  हुये
बेमतलब हैरान  हुये
एक मौका और दे जिन्दगी
जीकर दिखला देगें
हर लम्हें को जी लेगें
हर गम को पी लेगें।

दिवाली

ना प्यार  की बात कीजिए
ना उपकार की बात  कीजिए
जिससे घर और बाजार
रोशन है
सिर्फ पैसे की बात  कीजिए ।

Tuesday, October 15, 2019

किस्मत

लोग शहर छोड़ ने को  राजी है
गांव भी उजड़ रहें  हैं।
बर्फ़ भी  पिघल रही है 
पर्वत मैदान बन रहे हैं   
जमीन भी कम पड़ रही है  ।
चाद पर भी उम्मीद कम है  ।
मंगल का पता नहीं
जाये तो जाये कहाँ  । 

Monday, October 14, 2019

बेख्याल

मैं  हरगिज़  बात  दोस्ती की   ना करता
कुछ भूल जाते हैं   कुछ को हम भुला
देते हैं  ।  जिन्दगी में  नये नये  दोस्तों  ने
पुराने  दोस्तों को  भुलाने  में  मदद की।
और कुछ  शामें  खुशनुमा  हुई.

Saturday, October 12, 2019

आनन्द

आनन्द का मतलब खुश  या प्रसन्न होना है   
आनन्द  दो प्रकार के होते हैं
एक  आन्तरिक आनंद  होता  है
जिसमें व्यक्ति  स्वयं के साथ  किसी अन्य को भी
प्रसन्न या  खुश रखता  है  ।  दूसरा बाहरी आनन्द
होता  है जिसमें  व्यक्ति सिर्फ  स्वयं  ही आनन्दित
खुश या प्रसन्न  रह पाता  है    । 

नसीहत

नसीहत देकर पछताया
कि नसीहत क्यों  दी।
ना मानने वाले  वे लोग  है
जो किसी की बात  मानते नहीं ।
मैं जबरन में  दुखी हूँ  ।
वक्त ये बता रहा  है  कि
मैं   गलत हूँ ।
वक्त  आगे मैं  पीछे हूँ    ।     

Monday, October 7, 2019

रावन

आज दशहरा  है
रावन दहन क्यों
हर इन्सान में तो रावन है
मन से राम कहाँ
सब नारी में  सीता कहाँ
सीता  सा प्रेम कहां
रावन  को दोष क्यों
राम रावन एक प्रकरण है
हर इन्सान में तो रावन है  ।

रावन  को परखनेवालो
रावन  को जला दोगे 
जो इन्सानों  में  रावन बस गया
उसे  भी निकालो
जो रावन जैसा  क्रत्य करे
क्या  उसे दण्डित कर सकते हो 

राम  में  कमियां थी
सीता  में  भी
क्योंकि  मानवरूप में जन्म  लिया  था 
रावन  एक नकारात्मक चरित्र था
मत भूलो कि वह भी  एक राजा था

रावन  भी प्रासंगिक है रावन एक महा विद्वान
राजा था   रावन भी वन्दनीय है.



प्यासा मन

मन क्या  है
मन एक अन्तरद्वन्ध है 
जो एक दिमाग  के अन्दर चलनेवाली
विचार करने  की प्रकिया है।
कहते है मन की सुनो । दूसरा व्यक्ति कैसे  सुने
जो दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क के अन्दर वैचारिक
प्रकिया  चल रही है। यही कठिनाई है यही मन भेद है
जो अलग अलग  है इसी का दूसरा  नाम मतभेद है.



मोबाईल

मोबाईल क्या है,
कहने को एक यन्त्र है।
मगर इसकी महिमा  अनन्त  है ।
इस युग में  इसने गुरू,  मित्र,   माता पिता और
एक अलौकिक दुनियां का स्थान  ले लिया  है।
इसे हाथों में  लेते है ही यह एक  अलग दुनियां में  ले जाता है   ।
यह एक तन्त्र है मन्त्र है इसके पास शक्ति अनन्त है  ।
इसनै  मानव जीवन का समय ले लिया
एक ही कमरे में  रहनेवाले इन्सान को
अलग अलग कर दिया   । हर हाथों में  रहने की इसमें ललक है
हर हाथों  में  देखो इसकी झलक है ।



प्याज

सब्ज़ी में  स्वाद के लिए
प्याज कटती रही ब्याज में "
वैसे  ही
गरीब मरता रहा अमीरों के
इन्साफ में ।

Sunday, October 6, 2019

मृत्यु

मरना  होगा  जब मर जायेंगे
दुनिया में एक जगह खाली कर जायेंगे  ।
कुछ कहा सुना कुछ अनकहा अनसुना
अनदेखा बिन चखा रह जायेगा ।
अफसोस  किस बात का मृत्यु  अपना काम करे
और हम  अपना ।

Friday, October 4, 2019

काश ऐसा हो पाता

काश ऐसा  हो पाता 
यदि ईश्वर मुझे हजार साल की उम्र  देते
तो मैं  कुछ जनसेवा कर पाता   ।
जो आयु ईश्वर  ने दी इसमें तो
खुद की समस्या  निपटाते निपटाते
खुद भी मर जाना है।
काश ऐसा हो पाता ,
यदि ईश्वर  मुझे हजार साल की उम्र  देते
तो मैं  कुछ जनसेवा कर पाता ।

 पहले सौ साल मैं  विश्व भ्रमण करके लोगों
के दुखों को लिखता  ।
उसके बाद  101 वे वर्ष  से लेकर 200 वे
वर्ष  तक लोगों  के दुख दूर करने के प्रयत्न
करता ।
 काश ऐसा हो पाता ।

आलसी

जी हाँ  ये सच है
मैं महान आलसी  बनना चाहता हूँ ।
या यों कहूँ कि मैं  आराम  चाहता  हूँ 
नौकरी कोई मेरी जगह करके आये
और महीने की  पहली  तारीख को
सेलरी मेरे खाते में  आये  ।
बॉडी मैं भी बनाना  चाहता हूँ ।
जिम कोई दूसरा  चला जाये   ।
शेखचिल्ली के खानदान से हूँ
हुनर कोई और दिखाये
मशहूर मैं  होना चाहता हूँ

ब्याह कोई और रचाये
दुल्हन  मेरे घर को आये
ऐसी स्कीम मार्केट मैं  लाना चाहता हूँ ।
जी हाँ  ये सच है
मैं महान आलसी आदमी बनना चाहता  हूँ
या यों  कहूँ कि मैं आराम करना चाहता हूँ  ।

Thursday, October 3, 2019

बेजुबान

कभी-कभी  लगता है, भगवान ने इन्सानों  को
दर्द  बया करने के लिए  जुबान  देकर बड़ी  सौगात  दी है
वर्ना  ये जानवर तकलीफ़  में  होकर भी कुछ कह नहीं  पाते  जो इन्सान समझ पाते   । काश ऐसी बोली ऐसी भाषा  ऐसे संकेत
देने की सौगात इन्हें  देते तो शायद इनका  दर्द  इन्सान दूर करनी की कोशिश करता।


Tuesday, October 1, 2019

अहम

कितना अहम था  इन्हें  जब जीवित थे कि नाक पर मक्खी को भी नहीं  बैठने देते थे ,
आज जब ये जीवित नहीं  तो देखो  चेहरे पर मक्खियाँ  भिन भिना रही हैं ,
मुर्दे  ना बोलते  है ना देखते हैंना कुछ करते हैं बस यूँ  ही पड़े रहते हैं
"आज ये जीवित नहीं  हैं तो लोग जल्दी मचा रहे हैं , क्या घर के क्या बाहर के वर्ना  लोग घन्टौ इन्तजार करते थे ।
आज जब  ये मर गये तो श्मशान ले जाने की जल्दी है ।

जिन्दा थे तो लोग इनके सामने मोबाइल  तो क्या  मुह भी ना खोलते थे
आज जब इनका दाह-संस्कार हो रहा है तो लोगों का मुह भी चल रहा है और मोबाइल  भी 
कितना  अहम था इन्हें जब ये जीवित थे 
मुर्दे  ना बोलते  हैं  देखते हैं  ना कुछ करते हैं बस यूँ  ही पड़े रहते हैं
कितना अहम था इन्हें  जब ये जीवित  थे  ।
इनका वहम था कि लोग  इन्हें  प्यार  करते है,
सच ये था कि लोग इनके सामने  प्यार करने का उम्दा अभिनय करते थे,
बात दरअसल  स्वार्थ  साधने की रहा करती थी, इनकी भी और लोगों की,
जो बोया  वही तो काटा था और यही घाटा था  ।
कितना
अहम था इन्हें  जब ये जीवित  थे।
मुर्दे ना बोलते है ना देखते हैं ना कुछ करते हैं  बस यूँ  ही पड़े रहते हैं


Sunday, September 29, 2019

अवकाश

अवकाश मिला नौकरी से तो भूल पाया मोह माया
मिला जब अपने आप से तो थोड़ा खुद को समझ पाया। 

अनकही

पेड़ों का दर्द, बादलों ने समझा
और बरस गये।
इन्सानों के दर्द को इन्सान ना समझा
कितने हैं  जो रोटी को तरस गये।

पशु लावारिस सड़कों पर, पंछी बेघर आसमानों में भटक रहे।
इन्सान  दिमागवाला अधर्मी,  रिश्वत बेहिसाब गटक रहे।
 कौन सुने किसकी, किसको सुनाई दे रही सिसकी।
जो सत्ता के मद में  चूर है  जिसपे पैसा   भरपूर  है ।
दुनियां के दुख क्यों  देखे।
आखों पर काला चश्मा हो
तो दुख तो उससे कोसों दूर है।
गृहस्थी लिया बैठा इन्सान बक्त के हाथों मजबूर है।
इन्सान धरती पर, सोचता तो है चन्द्रमा के बारे में
करता है मन्गल की कामना  मगर इन्सानियत से कितना दूर है।


इल्जाम

कभी ऐसा भी होता है
कहीं  वैसा भी होता है।
कभी किसी का गा दिया  गीत
कभी किसी का बजा दिया  संगीत
तो सेलेब्रिटी, फनकार "कलाकार और मशहूर हो गये।
और हमने मेहनत से लिखी अपनी मौलिक रचना  सुना दी
तो साला हम फालतू  और फिजूल हो गये।
वाह रे दुनियां  हम तुझे समझ ना सके।
कि हम क्या  से क्या हो गये। 

Saturday, September 28, 2019

दिल

दिल टूटना भी अच्छा होता है।
शहर भर मैं घूमने वाला भी घर पर होता है ।
अरे टूटता दिल उसका है।
जो दिल का सच्चा  होता है।
दिल टूटना भी तो अच्छा होता है । 

Friday, September 27, 2019

मकसद

           दुनियां में  पैदा हुये,  रहे, और मर गये।
कोई बताये हमें,  कि वो जमाने को क्या  दे गये। 

हुनर

जिन्दगी जीने का हुनर
अगर कोई शख्स जानता हो।
तो मुझको बताये।
वर्ना  जिस दुनियादारी वाली लाईन में।
मैं  खड़ा हूँ ं
वो भी  मेरे  पीछे आये।

Thursday, September 26, 2019

परख

         मर नहीं सकता।
 इसलिए मरने की बात करता हूँ।
        बात दरअसल  ये कि
 चेहरे पढ़कर चाहनेवालों की तलाश
            मैं करता  हूँ ।



खूबसूरत शहर

    चुनिन्दा शहरों में से एक
इस शहर में मैं  जीने आया हूँ।
       आनन्दित प्रकृति है।
आनन्द का रस पीने आया हूँ।
होंसलौ पर  है विश्वास
प्रगति पथ पर आगे बढ़ने आया हूँ ।
बन रहे दोस्त है दोस्त मेरे
हालातों के दुश्मनों से मैं  लड़ने आया  हूँ।
अपने सपनों में हकीक़त का रंग भरने आया हूँ ।
किस्मत की क्या बात करू।
मुनासिब बक्त लाया  हूँ ।
चुनिंदा  शहरों में से एक

 इस शहर में मैं जीने आया हूँ