Friday, February 22, 2008

मोहलत जिन्दगी कि

कुछ साल बाद, हम भी ओरों की तरह ,
यादों में-किस्सों में, कहानिओ में मिलेंगे,
आज महक रहा है, प्यार का चमन,
फूलों की खुशबू साँसों में ढल रही है,
हो सकता है कल हम मजबूर हो ,
तुम गुजरो बैगानों से , बाजार में,
हम इत्र की तरह बंद शीशिओं में कैद नजर आयें,
आज हिना की पत्तियों सा हरा प्यार हमारा,
साथ रहकर निखर जाएं ,
ना जाने कौन सा पतझड़ सुखा दे हमें ,
ना जाने कौन सी दुल्हन की हथेलियों पर नजर आयें ,
ये ओढ़नी जो तोहफा है मौहब्बत का,
पहनकर शर्माने का मौसम है,
ऋतू जाने के बाद,
चुनरी जख्मों पर,पट्टियों की तरह नजर आयें,

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