Monday, February 18, 2008

अदा

कभी दूर थी, कभी पास थी ,
जुगनू थी, साकार थी,
मैंने तुम्हें सपना कहा ,
मौहब्बत ने मौहब्बत का नाम रखा
सोना थी, चांदी थी,
शोहरत थी , चाबी थी, खजाने की,
मैंने तुम्हे जिन्दगी की अमानत कहा ।
मौहब्बत ने मौहब्बत का नाम रखा ।
दिल है , दिवाली है ,
अदा है, अदावत है ,
जिस घर मैं तुम रहते हो,
मैंने उसे जन्नत कहा।
मौहब्बत ने मौहब्बत का नाम रखा।
सुबह-दोपहर -शाम है,
अमावास्या-पूनम की रात है ,
मगर तेरी जुल्फौं को मैंने काली घटा कहा।
मौहब्बत ने मौहब्बत का नाम रखा
शराब हैं, पैमाने है, महफिलें हैं मयखाने हैं ,
मैंने तेरी नजरों को जाम कहा ,
धरती अम्बर सितारों के रहते ,
मैंने तुम्हें चन्द्रमा कहा,
पोधे पत्तियों के रहते मैंने तुम्हें फूल कहा ,
मौहब्बत ने मौहब्बत का नाम रखा .



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