Monday, February 25, 2008

दहेज़ एवं चरित्रहीन पति

स्वप्न एक लड़की के ,
सिसकियों में बदल गए ,
"वर" जब नीचता के शिखर हुए,
रूप यौवन घर-आगन बिखर गए,
वो आह से ना बच पायेगा ,
वह शाप से ना बच पायेगा ,
वरदान पाये भष्मासुर वक्त के हाथों मिट गए ,
जब राम के वेष में,
लालची ब्याह रचाते गए ,
स्वप्न एक लड़की के ,
सिसकियों में बदल गए.

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