Sher O Shayari
Saturday, February 16, 2008
नेता
सुधरते
हो तो सुधर जाओ वरना तख्तिया बदल जाएँगी ,
ताज बदल जायेंगे ,
ना जाने कितने मुकद्दर लिखने वाले सिकंदर बदल जायेंगे ,
ये जनता की अदालत है यहाँ पेशियाँ नही होती,
एक ही तारीख(मतदान) में हजारों फैंसले लिखे जायेंगे.
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