Saturday, February 23, 2008

पत्थर का निवेदन

मत तराशो मुझे तराशकर ना मूरत बनाना ,
मूरत बनाकर ना मन्दिर में बिठाना,
क्योंकि मन्दिर में बिठाकर लोग पाप की माफ़ी,
या फिर मन्नत मागेंगे ,
या फ़िर तुम मुझे ताले में कैद कर दोगे,
तो में अकेला ही रहूँगा ,
या फिर मन्दिर का दरवाजा खुला छोड़ दोगे ,
तो इन आवारा कुत्तों का क्या है,
कुछ भी कर जायेंगे ।

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