ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये,
जो बैठा है बूढा अकेला पार्क में , उसके साथ समय बिताइये ,
ईश्वर है पीड़ित परिवार के साथ, जो अस्पताल में परेशान है,
उस पीड़ित परिवार की मदद कर आइये ,
जो मर गया हो किसी के परिवार में कोई ,
उस परिवार को सांत्वना दे आइये ,
एक चौराहे पर खड़ा युवक काम की तलाश में ,
उसे रोजगार के अवसर दिलाइये ,
ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये ,
ईश्वर है चाय कि दुकान पर उस अनाथ बच्चे के साथ ,
जो कप प्लेट धो रहा है , पाल सकते हैं, पढ़ा सकते हैं ,तो पढाइये,
एक बूढी ओरत है जो दर - दर भटक रही है,
एक अच्छा सा लिबास दिलाइये ,
हो सके तो नारी आश्रम छोड़ आईये ,
ईश्वर आज अवकाश पर है ,
ना मन्दिर की घंटी बजाइये .
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