कब तक लोग मेरी जिन्दगी ,
युधिष्ठर की तरह दाव पर लगाते रहेंगे ,
और कब तक ध्र्स्तराज की तरह ,
मै कष्ट महसूस करता रहूंगा,
और कब तक लोग एकलव्य की तरह,
मेरा अगुन्ठा काटते रहेंगे ,
और कब तक द्रोपदी की तरह ,
मेरी इज्जत उछालते रहेंगे,
और कब तक मैं भीष्म तरह ,
कांटो की सेज पर लेटा रहूंगा ,
अब मुझे द्रोणाचार्य से मिलाओ ,
मुझे अर्जुन बनना है ,
अब मुझे कृष्ण से मिलाओ ,
मुझे जिन्दगी की महाभारत जीतनी है .
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