Sher O Shayari
Sunday, February 24, 2008
इन्साफ
ये भी अजब इन्साफ है हमारा ,
जिन्दगी
भर घर की दीवारों पर,
बैठे
मच्छरों को मारते रहे ,
और घर के बाहर घूमनेवाले
मुजरिमों
के सामने मुस्कराकर बगल से गुजरते रहे ,
"कितने दिलेर है
हम"
ये भी अजब इन्साफ है
हमारा।
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