Monday, February 18, 2008

श्रधांजलि पिता के प्रति

एक मेरा बाप है, जो बच्चौं कि खातिर, जीने के सामान जुटाता हुआ ,
भरी दुनिया में गुमनाम सा रहा , और इसी दुनिया में,
एक नंगा-शातिर-अदना सा आदमी,
बिखरे परिवार का सदस्य,
पैसे की दम पर अखवार की सुर्खी बन गया

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