Sher O Shayari
Monday, February 18, 2008
श्रधांजलि पिता के प्रति
एक मेरा बाप है, जो बच्चौं कि खातिर, जीने के सामान जुटाता हुआ ,
भरी दुनिया में गुमनाम सा रहा , और इसी दुनिया में,
एक नंगा-शातिर-अदना सा आदमी,
बिखरे परिवार का सदस्य,
पैसे की दम पर अखवार की सुर्खी बन गया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment