Saturday, February 23, 2008

दर्द


बिछ्ड़कर तुमसे क्या कर रहा हूँ ,
सिर्फ़ दर्द और बेबसी लिख रहा हूँ ।
जिन्दगी पड़ी असमंजस में,
है दिल नादाँ इसे समझा रहा हूँ ,
करूँगा और क्या ?
बिछड़ने के बाद यादों को दोहरा रहा हूँ ,
हूँ इतना उदास और बेचैन,
तेरे पैरों के निशाँ रेत में बना रहा हूँ ,
हैं मेरे यार, जो जानते हैं, ये प्यार का रिश्ता,
अक्सर यही पूछते,
दर्द से तुम्हारा क्यों हो गया वास्ता ,
बताता नहीं सिर्फ़ बहला रहा हूँ
हैं हैरान हम क्यों गम से हो गई
पता नहीं आंसू और आंसू ढलका रहा हूँ ,
बिछ्ड़कर तुमसे क्या कर रहा हूँ,
सिर्फ़ दर्द और बेबसी लिख रहा हूँ ।

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