Sher O Shayari
Saturday, February 16, 2008
सदाबहार गरीबी
झील के किनारे रईसों के बंगलो पर,
दीप जले- फटाके फूटे और रौशनी हुई ,
आज
फिर किसी गरीब के बच्चे ने,
अपनी
बस्ती से अमीरों की आतिशबाजी का मजा लूटा .
1 comment:
Pavan
said...
यह कविता बहुत अर्थ पूर्ण है ! बहुत ख़ूब
February 20, 2008 at 3:05 AM
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1 comment:
यह कविता बहुत अर्थ पूर्ण है ! बहुत ख़ूब
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